Wednesday, January 19, 2011

जीवन

अनदेखे  गलियारों  में, अलफ़ाज़  लिए,  
कुछ साज़ लिए,
अनछूई सी  रातों  में,
 कुछ  कच्चे  चिट्ठे  बांच  लिए,
अंधियारों  ने  अंगराई  ली,
आलिंगन में उजियारों के,
कुछ अपने मन की बात कही,
कुछ सबके दुखड़े बाँट  लिए,
सूने  मन  की परिभाषा तो,
अपने  ही  अन्दर  बसती  है,
कुछ  कहते  हैं  चुप  रहने  को,
कुछ  कहते  हैं  बिन  सांस लिए, 
एक  अजायबघर  में  भी,
सब  अजब  अजब  सी  चीजों  में,
कुछ लोग दिखाई देते हैं,
पहचाने से अंदाज़ लिए,
अचरज सा मुझको होता है,
जीवन के अजब विवादों पर,
जब  शोर  सुनाई देता है,
अपवाद  भरे  संवाद  लिए |  

2 comments:

Akshat said...

अचरज सा मुझको होता है,
जीवन के अजब विवादों पर,
जब शोर सुनाई देता है,
अपवाद भरे संवाद लिए |

Too good...guchuda machaxx :D

sourabh harihar said...

beautiful...yes, especially the last four lines!!!