Saturday, May 3, 2008

जहाँ ख्वाहिश नहीं होती

नहीं है बात ऐसी की , यहाँ बारिश नहीं होती ;
मगर आंखों को आँसू की , कभी ख्वाहिश नहीं होती ;

मेरी नजरें भी कहती हैं , कभी उस और जा के देख ;
जहाँ हाथों मैं ले के हाथ , अब साजिश नहीं होती ;

मेरा मन मुझे उस और , जाने खिचता है क्यूँ ;
जहाँ लाशें तो जलती हैं , मगर आतिश नहीं होती ;

हैं मुझसे पूछती राहें , की जाना है तुझे किस ओर ;
मैं कहता हूँ वहां ले चल , जहाँ ख्वाहिश नहीं होती ....

1 comment:

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.