नहीं है बात ऐसी की , यहाँ बारिश नहीं होती ;
मगर आंखों को आँसू की , कभी ख्वाहिश नहीं होती ;
मेरी नजरें भी कहती हैं , कभी उस और जा के देख ;
जहाँ हाथों मैं ले के हाथ , अब साजिश नहीं होती ;
मेरा मन मुझे उस और , जाने खिचता है क्यूँ ;
जहाँ लाशें तो जलती हैं , मगर आतिश नहीं होती ;
हैं मुझसे पूछती राहें , की जाना है तुझे किस ओर ;
मैं कहता हूँ वहां ले चल , जहाँ ख्वाहिश नहीं होती ....
Saturday, May 3, 2008
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